BSNL बनेगा नया डाटा किंग Airtel Jio का मार्केट खा जायेगा ?

क्या भारत के बीएसएनल में है दम? क्या बीएसएनल बन सकता है भारत का नया डेटा किंग? एयरटेल जियो का मार्केट क्या बीएसएनल खा सकता है? यह बात सुनने और बोलने में ही अजीब सी लगती है क्योंकि बीएसएनएल से ज्यादा एक्सपेक्टेशन आज के भारतीयों को नहीं हैं। बीएसएनएल ने जो अपनी सर्विस का ग्राफ गिराया है वो हम सब उसके प्रत्यक्षदर्शी रहे। लेकिन दोस्तों मार्केट में हुई है कुछ ऐसी खलबली जिसके बाद बीएसएनल फिर से ट्रेंड करने लगा है। बीएसएनएल नया जीओ बन सकता है लेकिन उसके सामने कुछ बहुत बड़ी अड़चनें हैं। आज के इस वीडियो में समझेंगे किस तरीके से मोबाइल कंपनियां लंबा पैसा चूसने की फिराक में हैं। हम मोबाइल यूजर्स है और कैसे बीएसएनएल हमको इस परेशानी से उबार सकता है और देश के लिए बड़े पैमाने पर रिसोर्सेज और रेवेन्यू जनरेट कर सकता है। आइए समझते हैं इस लेख में। दोस्तों ये खबर तो आपने सुन ली होगी, नहीं सुनी तो फिर से सुन लीजिए। भारत की प्रमुख टेलिकॉम कंपनियां एयरटेल, जीयो और वीओआई ने अपना अच्छा खासा। जो फीस लेते थे, जो टैरिफ लेते थे उसे बढ़ा दिया। मतलब डेटा महंगा। फोन का रीचार्ज महंगा। यानिकि 10 से 27% तक की वृद्धि। जरा सोचिये 27% तक वृद्धि आपके टैरिफ चार्जेस यानी कि जो रिचार्ज ₹100 का मिल रहा होगा अब 127 का मिल सकता है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर इन कंपनियों ने अचानक अपने प्राइसेज क्यों बढ़ा दिए?

कीमत बढ़ाने की क्या है वजह

इसके पीछे यह बात निकलकर सामने आ रही कि हाल ही में जो फाइव जी स्पेक्ट्रम का ऑक्शन हुआ था, भारत सरकार ने जो नीलामी की थी। फाइव जी के स्पेक्ट्रम की तो कंपनियां लाइन लगाकर खड़ी थी और डेढ़ लाख करोड़ का इन्होंने निवेश किया। अब बारी आ चुकी है उस निवेश की उगाही करने की और यह सब कुछ कस्‍टमर्स को करना पड़ेगा। देखिए, एक टर्मिनोलॉजी है एआरपीयू। इसे कहा जाता है कि ऐवरेज रेवेन्यू पर यूजर एक व्यक्ति से एवरेज कितना कमा लेते हैं। कंपनियां तो जरा आंकड़ा सुन लीजिए। हमारा जो जीओ है, वह ₹181 कमाता है। बात करें एयरटेल की तो वह ₹209 प्रति यूजर कमाता है। वीआई का थोड़ा कम है। तो दोस्तों, टारगेट रखा है एयरटेल ने जो ₹209 ले रहा है वह कम से कम उसका एवरेज रेवेन्यू पर यूजर जो है वह ₹300 हो जाए। अब बात ही कैलकुलेट कर लीजिए। जियो कितना बढ़ाएगा और कितना बढ़ा सकता है। अब अपना दिमाग लगा लीजिए। तो अब मार्केट से उगाही शुरू हो चुकी है। कंपनियां अब जो सर्विसेज दे रही हैं, उसकी एवज में पैसा लेना बड़े पैमाने पर शुरू करने वाली है। वहीं देखा जाए तो जो यूजर इस्तेमाल करते हैं उनका बेस बड़ा नहीं हो रहा, लेकिन नए मोबाइल यूजर निकलकर कम मात्रा में आ रहे हैं। जैसे आज से 10 साल पहले होता था, उससे स्पीड अब कम हो गई है। ऑलमोस्ट सभी के पास मोबाइल पहुंच चुका है। सभी के पास ना कहें तो ज्यादातर लोगों के पास पहुंच चुका है तो यूजरबेस नया नहीं बन रहा है। और ऐसा करने की जरूरत इसलिए पड़ रही क्योंकि अगर वह पैसा नहीं लेंगे

तो वह अपने एक्सपीरियंस यूजर एक्सपीरियंस को एन्हांस नहीं कर पाएंगे। नए इंफ्रास्ट्रक्चर को डालना पड़ेगा। फाइव जी इंफ्रास्ट्रक्चर डालने के लिए फाइव जी हर जगह पहुंचाना होगा। इसमें पैसा लगेगा। लागत लगेगी तो पैसा निकालने के लिए यूजर से पैसा लिया जा रहा है। पर यह जो हाई कोई प्राइसेज बढ़ी हैं, प्राइसेज इसने मोबाइल यूज को काफी महंगा बना दिया आम आदमी के लिए। और इसीलिए बीएसएनल फिर से चर्चा में आ गया है, क्योंकि सभी कंपनियों ने अपने टैरिफ हाई करने की बात कह दी। लेकिन बीएसएनएल जहां का तहां ही नजर आ रहा है। अगर वह वृद्धि करेगा भी तो उतना नहीं करेगा। तो हिसाब से देखा जाए तो बीएसएनएल इस वक्त सबसे सस्ता डेटा प्लान, सबसे सस्ता टेलिफोन प्लान दे रहा है। दिक्कत यह है कि बीएसएनएल की फोर जी भी अच्छी तरीके से रोलआउट नहीं कर पाया। यानी कि भारत के कई ऐसे शहर हैं, कस्बे हैं, गांव हैं, जहां तक फोरजी नहीं पहुंचता। लेकिन एक अडवांटेज बीएसएनएल के पास में है। यह रूरल बैकग्राउंड इसके पास बहुत स्ट्रॉन्ग है। जो हमारे देहाती इलाके हैं, ग्रामीण इलाके हैं, वहां पर बीएसएनएल ही चलता है। वहां पर एयरटेल जियो नहीं पहुंच पाया अभी तक। ऐसी स्थिति में अगर बीएसएनएल सीनियर चाहे, सीरियसली चाहे तो बीएसएनएल इस वक्त सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन सकती है। अगर भारत सरकार चाहे तो। अगर भारत सरकार सही तरीके से इसमें रिफॉर्म लाए, अगर क्रांतिकारी बदलाव लाया जाए बीएसएनएल के अंदर तो बीएसएनएल तुरंत अंबानी को, भारती एयरटेल वालों को सबको हरा सकता है। दिक्कत यह है कि क्या बीएसएनएल को रिवाइव करने की कोशिश की भी जाएगी?

क्यों डूबा बीएसएनएल

और डूबा भी तो क्यों डूबा बीएसएनएल, आइए समझते हैं। दोस्तों, बीएसएनएल सबसे पहले शुरू होने वाले टेलिकम्यूनिकेशन एजेंसीज में से हैं भारत के अंदर बड़े पैमाने पर सन 2 हज़ार में लॉन्च हुआ था 1 अक्टूबर को। तब से लेकर के सन 2 हज़ार नौ तक यह बीएसएनएल का बूम था। सन 2 हज़ार 9 में नई नई कंपनी आनी शुरू हुई। उन्होंने बेहतर कस्टमर सर्विस देने शुरू किए। कस्टमर्स के फोन। अगर कुछ प्रॉब्लम आ जाए तो जल्द उठाया करती थी। प्राइवेट कंपनियां जल्दी इंस्टॉलेशन करवाती थीं। रिपेयर का काम आता तो भी ठीक करती थी और सारा कुछ एकदम जल्दी करके देती थी। इसीलिए पॉपुलर होने लगी। सारी प्राइवेट कंपनी। इनकी स्पीड अच्छी थी, कॉल ड्रॉप कम होते थे और जब इंटरनेट बूम आने लगा। भारत के अंदर दो हज़ार नौ के बाद अब उसके बाद में ये सारी कंपनियों ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, जबकि बीएसएनएल अपनी स्पीड नहीं बढ़ा पाया था। विडियो उसमें बफर होते ही रहते थे। गोल गोल चक्कर घूमते रहता था। वीडियो आगे नहीं बढ़ता था। अभी भी कई जगह ऐसा सिचुएशन है जहां बीएसएनएल की स्पीड बेहद स्लो है, जबकि इंडिया में फाइव जी तक रोलआउट हो चुका है। टेक्नोलॉजी का यह लैग पुअर कस्टमर सर्विसेस की कंज्यूमर जो सर्विसेस दी जाती थी, उसमें खराबी और फोर जी को पूरी जगह अप्लाई न कर पाना। ये सारी चीजें बताता है कि क्यों बीएसएनएल से लोग उन्हें छोड़ कर जा रहे हैं। हर साल मिलियन्स मिलियन जो मोबाइल यूजर हैं वह बीएसएनएल से शिफ्ट करके एयरटेल जीओ या वीआई में जा रहे हैं। खासकर जो गांव से शहरों की तरफ आते हैं। अपना नंबर पोर्ट कराना ज्यादा बेहतर समझते हैं।

जियो के बाद एयरटेल भी मंहगा

अपने मूलभूत ढांचे में काम नहीं किया। फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट बहुत ज्यादा पैमाने पर हुआ। बीएसएनएल के अंदर और इस वजह से नुकसान हुआ।

क्या सरकार की पोलिस है वजह

गांव में देखा जाए तो बीएसएनएल की बहुत ज्यादा अच्छी एप्रोच है। रीच है, स्पीड उतनी नहीं आती, लेकिन वहां बीएसएनएल ही काम करता है। कई इलाके अब बीएसएनएल ने प्लान किया कि सन 2024 तक सभी तक वह फोरजी स्पीड पहुंचा देगा और दो हज़ार 25 तक वह फायद पहुंचाने की कोशिश करेगा। अगर ऐसा होता है और इसमें खरा उतरता बीएसएनएल तो डेफिनेटली क्योंकि प्राइस बहुत है। बीएसएनल की तो डेफिनेटली लोग बीएसएनएल की तरफ शिफ्ट हो सकते हैं लेकिन फिर वही बात आ जाती है। प्रॉपर स्पीड अगर नहीं दे पाया। फोर जी बोलने के बाद भी नहीं दे पाया। फाइव जी बोलने के बाद भी नहीं दे पाया। कंज्यूमर्स की प्रॉब्लम को कॉल सेंटर वाले जल्दी फिक्स नहीं कर पाए तो ऐसी स्थिति में बीएसएनएल आगे नहीं बढ़ पाएगा। लेकिन इतना जरूर है इस महंगाई के दौर में लोग परेशान हैं और ऐसे में डाटा के चार्जेज बढ़ जाने से लोग सस्ते उपाय जरूर तलाशेंगे और बीएसएनएल एक बहुत बढ़िया उपाय है। देखिए यूं तो बीएसएनएल के ऊपर काफी सारे इल्जाम लगाए जाते हैं। यह बताया जाता है कि जिस तरीके से बीएसएनएल को हैंडल किया गया, अगर इसे सही तरीके से हैंडल किया गया होता तो आज प्रिमियर कंपनी होती। टेलिकम्यूनिकेशन कंपनी होती भारत की। लेकिन भारत सरकार ने इसे हैंडल करने में शायद उतनी एस्ट्रिंजेंट एक्टिविटी नहीं दिखाई। इसमें बहुत सारी प्रॉब्लम्स डिलेड मॉर्डनाइजेशन जब पूरी दुनिया थ्री जी में जा चुकी थी तब भी बीएसएनएल टूजी में चलता था। जब पूरी दुनिया फोर जी में चली गई तब भी बीएसएनएल थ्री जी में जी रहा है। प्राइवेट प्लेयर एयरटेल, वोडाफोन जीओ जब आए तोरैपिड इन्होंने एन्हांस किया। अपनी टेक्नोलॉजी को, अपनी सर्विसेज को। लेकिन बीएसएनएल ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम नहीं किया।

वहीं कई बार सवाल उठाए गए कि जो गवर्नमेंट की पॉलिसी थी उनमें काफी डीले था। वो नीतियां जो बीएसएनएल को आगे बढ़ा सकती थी, उन नीतियों को पारित करने में, उन पर फैसले लेने में। सरकारी जो एंटिटी थी उसने सही से काम नहीं किया। काफी ज्यादा डीले आई पॉलिसी की डिसीजंस में फैसले लेने में बहुत दिक्कत आई। स्पेक्ट्रम एलोकेशन में काफी ज्यादा परेशानी आई और फंडिंग के लिए अप्रूवल जल्दी नहीं किया भारत सरकार ने जिसके चलते बीएसएनल डूबता चला गया। बीएसएनएल के पास खुद की ऑटोनोमी भी नहीं थी। वह डिपेंडेंट था पूरी तरीके से गवर्नमेंट के डिसीजन पर। जिसकी वजह से वह खुद से फैसले नहीं ले पाया। यह भी बहुत बड़ी प्रॉब्लम। ऑपरेशनल एफिशिएंसी थी हाई एंप्लॉयी कॉस्ट। जो लोग बीएसएनल में काम करते थे, सरकारी नौकरी पर थे, अच्छीखासी सैलरी उनको मिलती थी। लेकिन वो कितना काम कर रहे थे इसके ऊपर में कोई नहीं था। जबकि एयरटेल, जीओ, वीआई ये सारी जो कंपनी थी, उन्होंने प्राइवेट एंप्लॉयीज रखे, कम सैलरी रखी और वह क्या काम करें, इसके ऊपर भी काफी ज्यादा एस्ट्रिंजेंट एक्शन लिया। इसकी वजह से बीएसएनल जो था, वह नॉन प्रोडक्टिव होता गया और बाकी प्राइवेट कंपनियां प्रोडक्टिव होती रहीं। लैक ऑफ मार्केटिंग एंड कस्टमर फोकस। बीएसएनएल ने मार्केटिंग स्ट्रैटेजी पर बिल्कुल काम नहीं किया या बेहद कम काम किया। कस्टमर सर्विस इसके ऊपर भीज्यादा दिमाग नहीं लगाए उन्होंने। अब अगर सवाल यह पूछा जाए कि क्या बीएसएनएल के पास गोल्डन अपॉर्चुनिटी है, जहां सारी प्राइवेट कंपनी ने अपनी प्राइस को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। लोगों को ज्यादा डेटा इस्तेमाल करने की आदत पड़ चुकी है। उन्हें ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा। दिक्कत है तो ये लोग रोलबैक कर सकते हैं। बीएसएनल की तरफ अगर बीएसएनएल ने जो प्लान बनाकर रखा है उसको सही से इंप्लीमेंट किया। बीएसएनएल के रिवाइवल का इसको फिर से जागृत करने का प्लान है। उसमें क्या क्या शामिल है? फोर जी रोलआउट वह इनिशिएटिव जिससे पूरे भारत भर में कोई भी ऐसा इलाका ना बचे जहां बीएसएनल मौजूद हो और फोरजी न मिले। अगर यह करने में कामयाब हो गया बीएसएनल तो बीएसएनएल हिट हो सकता है। फाइनेंशियल सपोर्ट।

अगर गवर्नमेंट ने जो फाइनेंशियल सपोर्ट पैकेज की जो प्रॉमिस की, अगर वह पूरा कर दिया गया तो डेफिनेटली से बीएसएनएल उबर सकता है। वीआरएस स्कीम्स, वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम्स ताकि जो ज्यादा वर्कफोर्स है, उसे कम किया जा सके। ज्यादा एम्प्लॉई काम कर रहे हैं छोटे से काम करने के लिए। इससे प्रोडक्टिविटी पूरे बीएसएनएल की कमजोर पड़ रही है। तो एंप्लॉयीज को जो है, उनको वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम देने से हो सकता है। चांसेज बढ़ सकते हैं कि बीएसएनएल के ऊपर जो लोड आ रहा है वो कम पड़े और प्रोडक्शन ज्यादा हो जाए। उससे स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप कोलैबोरेशन कर सकता है। बीएसएनएल टेक्नोलॉजी पार्टनर्स है ताकि मॉडर्नाइज कर सके और अपनी सर्विसेस को एक्सपैंड कर सके। अगर इन सारे पॉइंट्स पर बीएसएनएल ने सही तरीके से काम किया तो ये वो मौका है जब प्राइवेट कंपनी पीछे छूट जाएंगी और बीएसएनल आगे आ जाएगा। कम से कम रूरल भारत में तो ऐसा हो सकता है और वहां हो गया तो फिर इसके प्रभाव से डोमिनो इफेक्ट पैदा होगा। जो शहरी कई सारे जो मीडियम अर्निंग करने वाले लोग हैं, परिवार हैं, उन तक भी बीएसएनल की रीच पहुंच सकती। फिर से बाहर चलकर आपको दोस्तों। चांसेज बेहद कम हैं, लेकिन बीएसएनएल के पास में जो है मौका जरूर है। आपको कभी निराशा कर पाएगा और आपके इलाके में अगर आप इस्तेमाल करते हैं तो कैसी स्पीड देता है। नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर जरूर बताएं।

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